देहरादून के ग्रामीण क्षेत्रों में भारी बारिश से आफत, संपर्क मार्ग बहने से लोग घरों में कैद

देहरादून में मानसून की बारिश आफत बनकर बरस रही है। बीते कुछ दिनों से रोजाना भारी से भारी बारिश के दौर हो रहे हैं, जिससे जगह-जगह आपदा जैसे हालात बने हुए हैं और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।बुधवार रात को भी देहरादून के ग्रामीण क्षेत्रों को आसमानी आफत से दो-चार होना पड़ा। कई जगह भारी बारिश के कारण संपर्क मार्ग बह गए। कहीं घराें में तो कहीं खेतों में मलबा आने से भारी नुकसान हुआ है। नदी-नालों और सड़कों के पुस्ते भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इसके अलावा कई क्षेत्रों में सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है।

अतिवृष्टि से आपदा

खासकर मालदेवता, सिरवालगढ़ समेत अन्य क्षेत्रों में अतिवृष्टि से आपदा आई है। जिलाधिकारी ने आपदाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण कर नुकसान का जायजा लिया। प्रभावितों को राहत सामग्री पहुंचाने के साथ ही मुआवजा देने के निर्देश दिए।बीते बुधवार रात्रि को रायपुर विकासखंड के तहत मालदेवता, सेरकी गांव और सिरलवालगढ में अतिवृष्टि से भारी क्षति पहुंची। जिस पर गुरुवार सुबह जिलाधिकारी सोनिका प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचीं। उन्होंने आपदा प्रभावितों का हाल जाना। साथ ही ग्रामीणों एवं संबंधित अधिकारियों के साथ मौका मुआवना किया।

गांव के ऊपरी छोर पर सिंचाई विभाग के चैक डैम पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उक्त स्थल से वर्षा के पानी में तेज बहाव के साथ मलबा सड़क व ह्यूम पाइप लाइन को तोड़ते हुए मुख्य मार्ग तक पहुंच गया था, जिससे सड़क का करीब एक किमी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। जिसके अलावा किसानों के खेतों और घरों में भी मलबा घुसा था।जिलाधिकारी ने निरीक्षण के दौरान उपस्थित उप जिलाधिकारी सदर व तहसीलदार को निर्देश दिए कि क्षति का आकलन करते हुए आवश्यक कार्यवाही की जाए। सिंचाई विभाग व संबंधित विभागों के अधिकारियों को सड़क से मलबे की सफाई कर जल निकासी की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। इसके बाद, मालदेवता प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी सेरकी गांव पंहुचीं।

ग्रामीण महिलाओं ने जिलाधिकारी से वर्षा के दौरान गदेरे से आने वाले पानी की निकासी के लिए ठोस व्यवस्था बनाने का आग्रह किया। जिस पर जिलाधिकारी ने मौके पर उपस्थित सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए।उन्होंने मौके पर उपस्थित सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्युष कुमार को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्र में रेखीय विभाग को अपने-अपने विभागों से संबंधित कार्यों को त्वरित पूरा करते हुए समन्वय समन्वय बनाकर निगरानी को कहा। जिलाधिकारी ने राहत सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही जल्द प्रभावितों को मुआवजा देने के निर्देश दिए।

वर्ष 2008 में भी सिरवालगढ़ में आई थी भीषण आपदा

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र बिष्ट व भरत सोलंकी ने बताया कि बुधवार रात्रि 10:30 बजे सिरवालगढ़ गांव में भारी बारिश से राकेश कंडारी, प्रेम सिंह पवार, सुरेंद्र कंडारी, बुध सिंह पवार, दयाल सिंह पवार, यशवंत सिंह पवार, दिगंबर कंडारी, वीरेंद्र कंडारी आदि किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो गई।साथ ही उनके घरों में भी मलबा घुस गया। इसके अलावा भी गांव में भारी नुकसान हुआ है। बताया कि इस तरह की घटना वर्ष 2008 में भी घटी थी। जिससे मुख्य मार्ग का एक किलोमीटर हिस्सा बह गया। इसके अलावा सौड़ा के सेमलखाला में भी पानी आने से खासा नुकसान पहुंचा है। स्थानीय निवासी आनंद मनवाल ने बताया कि किसानों के खेत मलबे से पट गए हैं।

बैंक और स्कूल में घुसा मलबा, मार्ग भी ध्वस्त

मालदेवता क्षेत्र इस वर्षाकाल में भी लगातार आपदा का दंश झेल रहा है। बीती रात की भारी बारिश के कारण मालदेवता क्षेत्र में स्थित पंजाब नेशनल बैंक और महाविद्यालय परिसर में मलबा घुस गया। जिससे सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा क्षेत्रवासी कल्याण सिंह और राजेंद्र भंडारी के मकान में भी मलबा आने से क्षति पहुंची।कई घरों में बारिश का पानी घुस गया और सामान खराब हो गया। जिससे ग्रामीण महिलाएं बिलखती नजर आईं। बौंठा गांव को जाने वाले मार्ग पर भारी मात्रा में बारिश का पानी आने से आवाजाही ठप हो गई। क्षेत्र में कई जगह जेसीबी के माध्यम से सड़क मार्ग दुरुस्त किए जा रहे हैं। दिनभर मलबा हटाने का कार्य चल रहा है।

किमाड़ी मार्ग मलबा आने से बंद

देहरादून से मसूरी जाने के वैकल्पिक मार्ग किमाड़ी रोड पर भारी मात्रा में मलबा आ गया। जिससे मार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए बंद हो गया। ऐसे में किमाड़ी व रिखोली समेत कई गांव का संपर्क देहरादून से कट गया है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और बाजार से जरूरत का सामान भी गांव तक नहीं पहुंच पा रहा है।देर शाम तक जेसीबी से मलबा हटाने का कार्य जारी रहा, लेकिन फिर भी छोटे मार्गों की ही आवाजाही शुरू की जा सकी। इधर, ननूरखेड़ा में स्थित सामुदायिक भवन में पुस्ता और दीवार ढहने के बाद बारिश का पानी आसपास के घरों में घुस रहा है। जिसे देखते हुए स्थानीय महिलाएं स्वयं ही रेत-बजरी के कट्टों से दीवार का निर्माण करने में जुट गईं।

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