नियमितीकरण का मामला, नियमावली पर उपनलकर्मियों की चिंताएं, एक समान मामलों में बनी है दो समितियां

उत्तराखंड में नियमितीकरण नियमावली पर पिछले लंबे समय से बहस जारी है. कैबिनेट में नियमावली लाए जाने की चर्चाओं के बीच उपनल कर्मियों में चिंता इस बात को लेकर है कि क्या उनके मामले में भी नियमितीकरण के लिए नियमावली पर होमवर्क पूरा कर लिया गया है.

दरअसल संविदा कर्मियों और उपनल कर्मियों के लिए अलग-अलग समिति नियमावली पर चिंतन कर रही है., जिससे ऐसे कर्मचारियों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है. उत्तराखंड में दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ रूप में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों को नियमित करने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी है.

माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसे कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण नियमावली बनकर तैयार हो जाएगी, जिस पर कैबिनेट की मोहर लगने के बाद कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन उपनल कर्मियों का क्या होगा इस पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. हालांकि संविदा और तदर्थ कर्मियों की तरह ही उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए भी नियमावली बनाने का काम चल रहा है.

प्रदेश में जिस तरह संविदा और तदर्थ समेत कुछ दूसरी अस्थाई सेवाओं के नियमितीकरण को लेकर नियमवाली पर काम चल रहा है, इस तरह से उपनल कर्मियों को भी नियमित करने के लिए नियमावली बनाई जा रही है. खास बात यह है कि इन उपनल कर्मी और संविदा, तदर्थ कर्मियों के स्थाईकरण कई फैसला कोर्ट के निर्देशों के क्रम में किया जा रहा है.

संविदा और तदर्थ कर्मियों के लिए माना जा रहा है कि नियमावली 10 साल से जुड़ी होगी. यानी 2018 तक 10 साल सेवा पूरी करने वाले संविदा और तदर्थ कर्मचारियों को रेगुलर किया जा सकता है. हालांकि पहले भी नियमितीकरण 10 साल की सेवा वाले कर्मी को किए जाने की नियमावली थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 5 साल कर दिया गया था. वहीं 2018 में ही मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और कोर्ट ने 5 साल में नियमितीकरण वाली इस नियमावली पर रोक लगा दी. अब मान जा रहा है कि सरकार एक बार फिर 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मियों को नियमावली में लाभ दे सकती है.

इसी आधार पर उपनाम कर्मचारियों के लिए अलग से बनाई गई समिति भी निर्णय ले सकती है. हालांकि इस पर भी उपनल कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को नियमावली इस तरह की बनानी चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा उपनल कर्मचारी को इसका लाभ मिल सके. इस मामले पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर के सुधांशु नियमावली बनाए जाने के लिए भी गतिमान होने की बात कहते हैं. उधर उपनल कर्मचारी की नजरे भी इस समिति पर बनी हुई है.




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