हर हर महादेव के जयकारों के साथ आज केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। भाई दूज के पावन पर्व के अवसर पर आज सुबह 8:30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ बाबा केदार के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही जनपद का प्रशासनिक अमला भी मौजूद रहा।
केदारनाथ धाम से बाबा की पंचमुखी डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई, जहां बाबा केदार अगले छह माह विराजेंगे। आज सुबह 4 बजे से मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। 4 बजे से 6 बजे तक विशेष पूजा अर्चना की गई। स्वयंभूलिंग को फूलों, भस्म और फलों से सजा कर समाधि रूप दिया गया।
इस दौरान केदारनाथ मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से भरा रहा और जय बाबा केदार, हर हर महादेव के जयकारे लगाते रहे। वहीं सेना की भक्तिमय धुनों के बीच श्रद्धालु झूमते नजर आए। कपाट बंद होने की सारी प्रक्रियाएं संपन्न होने के बाद जब बाबा की चल विग्रह पंचमुखी डोली मंदिर से बाहर निकली तो पूरा परिसर हर हर महादेव के जयकारों से गुजर गया। बैंड के भक्तिमय धुनों के साथ बाबा की डोली ने मंदिर की परिक्रमा करी।
बाबा केदार की चल विग्रह डोली धाम से चलकर आज रात्रि अपने प्रथम पड़ाव रामपुर पहुंचेगी जहां रात्रि प्रवास होगा। यहां से कल सुबह प्रस्थान कर डोली गुप्तकाशी पहुंचेगी। इसके बाद 25 अक्टूबर को बाबा की डोली अपने गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी जहां अगले 6 माह तक बाबा के दर्शन होंगे।
केदारनाथ यात्रा के दौरान इस वर्ष 17.39 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। बाबा केदार के दर्शनों के लिए कपाट खुलने के दिन से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था। मानसून सीजन में भी जहां अन्य धामों में श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई वहीं केदारनाथ धाम में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते रहे।
पिछले दिनों हुई बारिश और बर्फबारी के बाद से धाम में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसके बावजूद दर्शकों की आस्था नहीं डिगी और वे बाबा केदार के दर्शन करने के लिए पहुंचे। केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने बताया कि पहले समाधि की पूजा की गई है। आज भस्म से बाबा को स्नान कराया गया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार भव्य केदारपुरी का निर्माण हुआ है। चारधाम यात्रा में इस वर्ष रिकॉर्ड 50 लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं, जबकि बदरीनाथ धाम की यात्रा अभी जारी है। धामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहित किया जायेगा।
22 अक्टूबर को गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 11:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे। गंगोत्री धाम से मां गंगा की उत्सव मूर्ति डोली मुखबा में विराजेंगी। श्रद्धालु शीतकाल में मुखमक के गंगा मंदिर में दर्शन-पूजन कर सकेंगे। आज दोपहर में यमुनोत्री धाम के कपाट 12:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जायेंगे। यहां से मां यमुना की उत्सव मूर्ति खरसाली के लिए रवाना होगी। शीतकाल में 6 महीनों तक मां यमुना के दर्शन खरसाली गांव में किया जा सकेंगे।