इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कप-टिहरी वाटर स्पोर्ट्स कप का समापन, उत्तराखंड में लागू होगा स्पोर्ट्स लीगेसी प्लान

उत्तराखंड के टिहरी झील में आयोजित इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कप और चतुर्थ टिहरी वाटर स्पोर्ट्स कप 2025 का समापन हो गया है. समापन समारोह में सीएम धामी ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने विजेता टीम के खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया. उन्होंने कहा कि टिहरी झील बिजली उत्पादन के साथ पर्यटन की दृष्टि से भी काफी अहम है. ऐसे में आने वाले समय में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित किया जाएगा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत और विभिन्न देशों से आए खिलाड़ियों से संवाद किया. साथ ही उनके उत्साह और उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की. उन्होंने कहा कि 22 देशों के 300 से ज्यादा खिलाड़ियों की भागीदारी इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ज्यादा महत्वपूर्ण बनाती है. जो टिहरी झील को वैश्विक साहसिक खेल मानचित्र पर स्थापित करती है.

सीएम धामी ने कहा कि टिहरी झील अब केवल ऊर्जा उत्पादन या जल प्रबंधन का केंद्र नहीं रह गई है, बल्कि पर्यटन, साहसिक खेलों और स्थानीय लोगों की आजीविका के नए अवसरों का सबसे बड़ा आधार बन चुकी है. राज्य सरकार का उद्देश्य है कि यहां समय-समय पर ऐसे आयोजन होते रहे. ताकि, साहसिक खेलों के साथ पर्यटन गतिविधियों को भी लगातार बढ़ावा मिल सके.

उन्होंने बताया कि हाल के सालों में ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले भारतीय खिलाड़ियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. साल 2023 में चीन में हुए एशियाई खेलों में भारत ने रिकॉर्ड 107 पदक जीतकर नया इतिहास रचा था. उन्होंने कहा कि भारत आगामी 2030 में अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने खेल बजट को भी तीन गुना बढ़ा दिया है.

सीएम धामी ने कहा कि इस साल उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों की सफलता ने राज्य को ‘देवभूमि’ के साथ ‘खेल भूमि’ के रूप में भी स्थापित किया है. उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने पहली बार राष्ट्रीय खेलों में 103 पदक जीतकर 7वां स्थान हासिल किया.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विश्वस्तरीय खेल अवसंरचना तैयार करने की दिशा में लगातार काम किया है. जिसके परिणामस्वरूप उत्तराखंड अब अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की मेजबानी करने में सक्षम हो चुका है. हाल ही में देहरादून स्पोर्ट्स स्टेडियम में स्थित आइस रिंक में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसने भारत में शीतकालीन खेलों के एक नए युग का द्वार खोलने का काम किया है.




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