मानदेय वृद्धि और पेंशन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां, सचिवालय कूच किया

प्रदेश के अलग-अलग जिलों से देहरादून पहुंची आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने मंगलवार को मानदेय वृद्धि और सेवानिवृत्ति पर पेंशन की सुविधा दिए जाने समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया, लेकिन पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने महिलाओं को सुभाष रोड स्थित सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इस दौरान आंगनबाड़ी वर्करों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश जताया और जल्द मांगे पूरी करने को कहा.

काफी देर तक प्रदर्शनकारी महिलाएं सड़क पर ही धरने पर बैठी रहीं. उन्होंने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया है. आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के सचिवालय कूच में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपना समर्थन देने पहुंचे. हरीश रावत ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों को जायज बताया.

हरीश रावत ने कहा कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की वाजिब मांगों को नहीं मानकर उनका शोषण कर रही है. सरकार ने इनका वर्कलोड तीन से चार गुना बढ़ा दिया, लेकिन इनको पुराना मानदेय दिया जा रहा है. महंगाई में भी लगातार वृद्धि होती जा रही है, जिस कारण इन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

हरीश रावत का कहना है कि नौ साल से उत्तराखंड की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार कई बार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को अपने कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने के लिये बुलाती रहती है. उतना भी अगर सरकार इनके मानदेय में वृद्धि कर देती, तो आज इनको सड़कों पर नहीं उतरना पड़ता. हरीश रावत ने महिलाओं को आश्वस्त किया कि अगर 2027 में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो आंगनबाड़ी, भोजन माताओं और आशाओं को न्यूनतम आमदनी की गारंटी दी जाएगी.

उधर उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला खत्री ने बताया कि मार्च 2024 में कार्यत्रियों का आंदोलन चला, जिसमें सरकार ने आश्वासन दिया था कि मानदेय वृद्धि के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा, लेकिन वह कमेटी केवल कागजों तक की सीमित रह गई है. उसे कमेटी के कौन सदस्य थे या उसे कमेटी का क्या निर्णय हुआ अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए, तब तक उनका मानदेय 8 सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 24 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाए. प्रदेश में सुपरवाइजर के खाली पदों पर कार्त्रिकयों के प्रमोशन से भरा जाए. इसके अलावा उन्हें ग्रेच्युटी का लाभ मिलने के साथ ही फेस कैप्चर प्रणाली को बंद किया जाए. क्योंकि इस प्रणाली के तहत वास्तविक लाभार्थी लाभ से वंचित हो रहे हैं.




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