पहाड़ों की रानी मसूरी के लंढौर बाजार में जमीन धंसने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. मुख्य बाजार से लेकर जैन मंदिर और पुराने कोहिनूर बिल्डिंग के बीच का पूरा हिस्सा लगभग एक फुट तक धंस चुका है. सड़क पर चौड़ी दरारें और आसपास की दुकानों-मकानों में आई दरारों ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों में भारी डर पैदा कर दिया है. जोशीमठ में हुए भू-धंसाव के बाद अब मसूरी में ऐसी ही आपदा की आशंका ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है.
स्थानीय दुकानदार बलबीर रावत, प्रताप सिंह रावत, संदीप अग्रवाल,मनोज अग्रवाल , शैलेंद्र बिष्ट और व्यापार मंडल महामंत्री जगजीत कुकरेजा बताते हैं कि पूरी सड़क दो साल से धंस रही है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में रफ्तार बहुत बढ़ गई है. कम से कम एक फुट तक जमीन नीचे बैठ चुकी है. कई बाइक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और घरों में दरारें लगातार बढ़ रही है.
स्थानीय लोगों के अनुसार, लंढौर बाजार के निचले हिस्से में अवैध खुदाई और अनियोजित निर्माण धंसाव की बड़ी वजह है. लोगों ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ( और प्रशासन से कई बार लिखित शिकायतें कीं, लेकिन किसी विभाग ने कार्रवाई नहीं की, अधिकारी शिकायतें दबाए बैठे हैं. ऐसा स्थानीय लोगों का आरोप है. लोगों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो लंढौर बाजार का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है. आने वाले समय में एक बड़ा हादसा हो सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार मसूरी भूकंप क्षेत्र-4 में आता है. ऐसे में धंस रही जमीन किसी भी समय गंभीर रूप ले सकती है. स्थानीय लोग बोले क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? लोगों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, और कई अन्य एजेंसियों ने लंढौर क्षेत्र का निरीक्षण किया, लेकिन “न तो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई और न ही कोई ठोस कार्रवाई दिखाई दे रही है. लोगों का कहना है कि जोशीमठ की आवाजें मसूरी तक सुनाई दे रही हैं.
मसूरी नगरपालिका परिषद अध्यक्ष मीरा सकलानी ने बताया लंढौर बाजार के धंस रहे क्षेत्र को लेकर पालिका गंभीर है. पहले भी कई एजेंसियों द्वारा निरीक्षण हो चुका है. आईआईटी रुड़की की टीम की रिपोर्ट को लेकर भी जिला मजिस्ट्रेट से वार्ता की जायेगी. उन्होने कहा जल्द ही डीएम से व्यक्तिगत रूप से मिलकर आगे की कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी. उन्न्होने कहा कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी क्षेत्र का निरीक्षण कर चुके हैं.
ब्रिटिश काल में सैनिकों की देखभाल के लिए बना लगभग 200 वर्ष पुराना लंढौर बाजार, भूगर्भीय दृष्टि से बेहद नाजुक क्षेत्र में स्थित है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते धंसाव को रोका नहीं गया तो मसूरी के इस ऐतिहासिक बाजार को बड़ा नुकसान हो सकता है.
बता दें जोशीमठ का दर्द अभी ताज़ा है. अब मसूरी में वही खतरा दिख रहा है. बढ़ती दरारें, अवैध खुदाई और प्रशासन की धीमी कार्रवाई ने स्थानीय लोगों में गहरी चिंता और भय पैदा कर दिया है. लोगों का कहना है लंढौर को बचाने के लिए ठोस प्लान लागू किया जाए.