सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से पूछा कि क्या इसके उन 14 उत्पादों की बिक्री रोकी गई है, जिनके उत्पादन लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (SLA) ने पिछले महीने निलंबित कर दिए थे। शीर्ष अदालत में पतंजलि की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने इन उत्पादों की बिक्री रोक दी है। कोर्ट ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को भ्रामक विज्ञापन मामले में जारी अवमानना नोटिस पर आज (मंगलवार) अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा, ‘‘क्या यह भी सही है कि आपके थोक व्यापारियों ने उनका भंडारण करना और उन्हें बेचना बंद कर दिया है? आपको इसकी जांच करने और एक हलफनामा दाखिल करने की जरूरत है।” सिंह ने पीठ से कहा कि वे इस बारे में एक हलफनामा दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि फर्म ने उन टीवी चैनलों को पत्र लिखा है, जिनपर इन उत्पादों के विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं। इसके बाद पीठ ने कहा, ‘‘हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं, लेकिन आपके हलफनामे से फर्क पड़ेगा।’’
न्यायालय ने इस बात पर गौर किया कि पतंजलि की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कंपनी के तीन उत्पादों के विज्ञापन वापस लेने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने वाला हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इन तीन उत्पादों का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। पीठ ने कहा, ‘‘तीन सप्ताह के अंदर यह हलफनामा दाखिल किया जाए। जो भी जरूरी है, तीन हफ्ते के अंदर किया जाए…।’’न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रतिवादी संख्या 5 से 7 (पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, बालकृष्ण और रामदेव) को जारी अवमानना नोटिस पर आदेश सुरक्षित रखे गए हैं।’’ हालांकि, पीठ ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण पर नरमी दिखाते हुए कहा कि न्यायालय के विशेष आदेश जारी करने तक दोनों को पेशी से छूट रहेगी। न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘सिर्फ यह चिंता है कि लोगों को जानकारी होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि रामदेव के काफी अनुयायी हैं और लोग उनपर बहुत भरोसा करते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘कृपया लोगों को हल्के में न लें।’’ न्यायालय में उपस्थित सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रामदेव ने योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में योगदान दिया है। इस पर न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा, ‘‘लोग उनका सम्मान करते हैं।’’इस पर न्यायमूर्ति कोहली ने बाबा की तारीफ में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मंच पर, योग की पहचान बनाने में उनका और उनकी टीम का बड़ा योगदान है।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, पतंजलि के उत्पादों से जुड़ा मुद्दा दूसरा विषय है। पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण का हलफनामा मामले में रिकॉर्ड पर है, जबकि नगालैंड की ओर से पेश हुए वकील ने कहा है कि हलफनामा कल दाखिल किया गया। पीठ ने कहा कि नगालैंड का हलफनामा रिकॉर्ड पर नहीं है।
न्यायालय ने अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को अपना-अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए चार हफ्तों का अंतिम अवसर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘हलफनामों में, प्राधिकरणों द्वारा स्वत:संज्ञान लेते हुए की गई उन कार्रवाई का भी उल्लेख होना चाहिए, जो यह सुनिश्चित करे कि संबद्ध स्वास्थ्य उत्पादों/खाद्य सामग्री/पूरक आहार सामग्री के विनिर्माताओं, विज्ञापन दाताओं, विज्ञापन एजेंसियों ने भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं किये हैं।’’पीठ ने कहा कि प्राधिकरणों के पास उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदारी की कहीं अधिक भावना होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान, पीठ ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) से जुड़े मुद्दे पर भी विचार किया। एसएलए की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस पिछले महीने निलंबित कर दिए गए।
पीठ ने पूछा, ‘‘क्या आपने जांच की कि ये उत्पाद अब भी बाजार में उपलब्ध हैं?’’ वकील ने जब कहा कि प्राधिकरण ने अतीत में जरूरी कदम नहीं उठाने के लिए बिना शर्त माफी मांगी है, पीठ ने कहा, ‘‘पूर्व की अवधि के लिए आपको स्पष्ट रहना है, वे उतने ही गलत थे, जितने वे हो सकते थे।’’पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई के लिए निर्धारित कर दी।इससे पहले, एसएलए ने शीर्ष अदालत को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं। न्यायालय 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि ने कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने वाला अभियान चलाया।