टिहरी लोकसभा में लगातार तीन बार रानी की जीत के आत्मविश्वास के सामने चौथी बार चुनावी चौसर पर कांग्रेस ने कमजोर खेल खेला तो हार पहले ही साफ हो गई थी। चार जून के नतीजों में इस पर मुहर लग गई।2019 का लोकसभा चुनाव प्रचंड मोदी लहर के बीच प्रीतम सिंह ने लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। इस बार भी उन्हें दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया। प्रतापनगर विधायक विक्रम सिंह नेगी और उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण भी दौड़ में थे, लेकिन उनकी जगह संगठन ने बुजुर्ग नेता, दो बार मसूरी पालिका के अध्यक्ष, दो बार के विधायक जोत सिंह गुनसोला पर दांव खेला।
गुनसोला पिछले करीब एक दशक से सक्रिय राजनीति से दूर थे। पार्टी ने उन्हें 2017 या 2022 में विधानसभा में मौका नहीं दिया। इस बार लोकसभा में टिकट दिया, लेकिन न तो टिहरी लोकसभा में कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय स्तर के नेता ने रैली की और न ही राज्य स्तर के नेताओं ने। उम्र ज्यादा होने की वजह से गुनसोला ज्यादा भागदौड़ भी नहीं कर पाए।सांगठिक तौर पर कमजोर गुनसोला को टिकट मिलने के साथ ही खुद संगठन के पदाधिकारी उनके नतीजे को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन बाकी कोर कसर निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार ने पूरी कर दी। गुनसोला को जहां 1.8 लाख वोट मिले तो वहीं निर्दलीय बॉबी को 1.6 लाख वोट मिले। बुजुर्ग कंधों को हाथ का साथ न मिलने के कारण हार का जख्म मिला।