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देहरादून — उत्तराखंड में वर्चुअल रजिस्ट्री व्यवस्था लागू किए जाने के खिलाफ अधिवक्ताओं ने आज शनिवार को जोरदार विरोध दर्ज कराया। पूरे राज्य में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत रहते हुए हड़ताल की, जिससे अदालतों व रजिस्ट्री कार्यालयों में कामकाज भी पूरी तरह ठप हो गया।
राज्य सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के तहत शादी व वसीयत की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के बाद अब भूमि और संपत्ति की रजिस्ट्री को भी पूरी तरह डिजिटल व पेपरलेस बनाने का निर्णय भी लिया है। बार एसोसिएशनों का कहना है कि यह कदम अधिवक्ताओं के पारंपरिक कार्यक्षेत्र को सीमित भी कर रहा है और इससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।
बार संघों के आह्वान पर देहरादून समेत सभी जिलों में अधिवक्ताओं ने न्यायालयों में उपस्थिति नहीं दर्ज कराई। रजिस्ट्री से जुड़े सभी सहयोगी व्यवसाय जैसे बस्ते, टाइपिंग व स्टांप वेंडर सेवाएं भी पूरी तरह से बंद रहीं।
बार संघ की मांगें और चेतावनी
बार एसोसिएशन ने राज्य सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग भी की है। अधिवक्ताओं का कहना है कि वर्चुअल रजिस्ट्री व्यवस्था आम जनता के लिए भी जटिल भी हो सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां डिजिटल साक्षरता की कमी भी है। बार नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने समय रहते इस मुद्दे पर संवाद नहीं किया, तो यह विरोध और भी तेज किया जाएगा।
जनता को भी हो रही परेशानी
हड़ताल के चलते आम नागरिकों को भी दस्तावेजी कार्यों में भारी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। विवाह पंजीकरण, वसीयत सत्यापन, और संपत्ति से जुड़े कई कार्य आज ठप ही रहे।
यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में डिजिटल न्यायिक व्यवस्था का विरोध भी हुआ हो, लेकिन इस बार अधिवक्ताओं की एकजुटता व सख्त रुख ने सरकार के लिए चुनौती भी खड़ी कर दी है। अब सबकी निगाहें सरकार की अगली प्रतिक्रिया पर ही टिकी हैं।
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