विधि-विधान के साथ खुले भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट, भक्तों ने किया भव्य स्वागत

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द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट आज बुधवार सुबह विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए  खोल भी दिए गए। कपाटोद्घाटन से पूर्व भगवान की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने पारंपरिक मार्ग से यात्रा करते हुए गौंडार गांव में रात्रि विश्राम भी किया, जहां ग्रामीणों ने डोली का भव्य स्वागत भी किया।

राकेश्वरी मंदिर में हुआ विशेष पूजन

मंगलवार को रांसी गांव स्थित राकेश्वरी मंदिर में स्थानीय पुजारी व भगवान मद्महेश्वर के पुजारी शिव लिंग द्वारा मां राकेश्वरी और भगवान मद्महेश्वर का विशेष अभिषेक व पूजन भी किया गया। इसके बाद डोली की विधिवत आरती की गई और मंदिर की परिक्रमा कर भगवान ने भक्तों को आशीर्वाद भी दिया।

घने जंगलों से होकर गौंडार पहुंची डोली

प्रातः 7:30 बजे राकेश्वरी मंदिर से प्रस्थान कर भगवान मद्महेश्वर की डोली ने 6 किलोमीटर का कठिन पैदल रास्ता तय करते हुए सुबह 10:30 बजे गौंडार गांव पहुंची। पंचायती चौक में डोली को विराजमान भी किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ स्वागत किया।

सुबह 6 बजे मंदिर प्रस्थान, शुभ मुहूर्त में खुले कपाट

आज बुधवार सुबह 6 बजे, चल डोली ने गौंडार से प्रस्थान कर मद्महेश्वर धाम के लिए अंतिम यात्रा भी शुरू की। निर्धारित शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट विधिवत खोले गए, जिसके साथ ही अब 6 माह तक भगवान मद्महेश्वर के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए सुलभ रहेंगे।

धार्मिक महत्त्व

मद्महेश्वर धाम पंचकेदारों में द्वितीय स्थान पर है और यह धाम भगवान शिव के पवित्र स्वरूप का प्रतीक भी माना जाता है। हर वर्ष कपाट खुलने की यह पारंपरिक प्रक्रिया श्रद्धालुओं और स्थानीयों के लिए आस्था व उत्सव का विशेष पर्व होती है।






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