बद्रीनाथ पहुंची भगवान बद्रीविशाल की डोली, कल खुलेंगे कपाट, तैयारियां शुरू

भगवान बद्रीविशाल की डोली बद्रीनाथ धाम पहुंच गई है। धाम पहुंचने पर भगवान बद्रीनाथ की डोली का भव्य स्वागत हुआ। इस दौरान भगवान बद्रीनारायण के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। कल धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं। जिसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। धाम को 15 कुंतल फूलों से सजाया जा रहा है।

भगवान बद्रीनाथ की डोली आज सुबह अपने धाम पहुंच गई है। गंगोत्री, यमनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं। कल सुबह शुभ मुहुर्त में धाम के कपाट खुलेंगे। जिसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। बद्रीनाथ धाम को 15 कुंतल फूलों से सजाया जा रहा है।

अगर आप भी बद्रीनाथ जाने का (badrinath trip) प्लान बना रहे हैं तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए। बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जो कि अलकनंदा के तट पर बसा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यहां जाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

विशाल बद्री या बद्रीनाथ में भगवान विष्णु ध्यान मुद्रा में विराजमान हैं। जिस कारण माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु छह महीने निद्रा में रहते हैं और छह महीने जागते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार यहां भगवान विष्णु घोर तपस्या में लीन थे। तभी इस जगह पर हिमपात शुरु हो गया। जिसे देख कर माता लक्ष्मी विचलित हो गईं।

भगवान विष्णु की तपस्या में कोई बाधा उत्पन्न ना हो ये सोचकर बेर जिसे बद्री भी कहते हैं, उसके वृक्ष में परिवर्तित हो गई। भगवान विष्णु को कठोर मौसम से बचाने के लिए उन्हें अपनी शाखाओं से ढक लिया। तपस्या खत्म होने के बाद जब भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को बेर के वृक्ष रूप में देखा तो उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा कि देवी आपने मुझसे अधिक तप किया है इसलिए मुझसे पहले आप पूज्य हैं। तभी से इस मंदिर को बद्रीनाथ नाम से जाना जाने लगा।

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